अटल बिहारी वाजपेयी की जीवन परिचय (Atal Bihari Vajpayee Biography in Hindi)

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नमस्कार दोस्तों आज के हमारे अटल बिहारी वाजपेयी की जीवन परिचय – Atal Bihari Vajpayee Biography in Hindi में हम आपको एक ऐसी शख्सियत  के बारे में बताने जा रहे जो किसी पहचान की मोहताज नहीं है हर किसी ने उन्हें जाना है उनके बारे में पढ़ा है और उन्हें देखा है, वह एक ऐसे राजनेता थे जिनके सामने उनकी पार्टी के नेता ही नहीं बल्कि विरोधी पार्टी के नेता भी अपनी सीट छोड़कर खड़े हो जाते थे.

जी हां दोस्तों आज हम जिनके बारे में बात करेंगे और जिनके बारे में जानेगे उनका नाम है श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee)। इस लेख हम उनके जीवन से जुड़े सभी पहलुओं के बारे में बताने की कोशिश करेंगे जैसे कि उनका जन्म कहां हुआ? उन्होंने अपनी शिक्षा कहां से ली? अपना राजनीतिक जीवन का प्रारंभ कब और कहाँ से किया? और उनके द्वारा किए कौन- कौन सी उपलब्धियां हासिल की .

साथ ही उनके तमाम योगदानों भी जानेगें.दोस्तों एक निवेदन है यदि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी सही और अच्छी लगे तो अपने दोस्तों और चिर-परिचितों को शेयर जरुर कर दें.

दोस्तों अपने Atal Bihari Vajpayee जी का एक प्रधानमंत्री और एक राजनेता के रूप में कई बार नाम सुना होगा उनसे जुड़ी कई बातें कई तथ्य आपको पता भी होंगे। लेकिन अटल बिहारी जी (Atal Bihari Vajpayee) एक अच्छे नेता होने के साथ-साथ एक अच्छे पत्रकार और बेहतरीन कवि भी थे। उन्होंने कई बार भारतीय संसद के अंदर कविताओं के माध्यम से पक्ष और विरोधी पार्टी के नेताओं का दिल भी जीता.

अटल बिहारी वाजपेयी का प्रारम्भिक जीवन: जन्म कब और कहाँ हुआ था?

अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर जनपद के एक गांव में एक मध्यम वर्गीय परिवार में 25 दिसंबर 1924 में हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक इसके अतिरिक्त वे हिंदी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे साथ ही तीन बार प्रधानमंत्री भी रहे। उनकी माता का नाम कृष्णा देवी वाजपेयी था. अटल बिहारी वाजपेयी 7 भाई बहन भी थे. भाईयों के नाम: प्रेम बिहारी वाजपेयी, अवध बिहारी वाजपेयी, सुदा बिहारी वाजपेयी था वहीं बहनों के नाम: विमला मिश्रा, उर्मिला मिश्रा, कमला देवी था.

उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे। पुत्र में काव्य के गुण वंशानुगत परिपाटी से प्राप्त हुए। महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति “विजय पताका” पढ़कर अटल जी (Atal Bihari Vajpayee) के जीवन की दिशा ही बदल गयी।

Atal Bihari Vajpayee जी ने शिक्षा कब और कहाँ से ग्रहण की?

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपनी हाई स्कूल (कक्षा 10) की शिक्षा सरस्वती शिक्षा मंदिर, गोरखी, बाड़ा, विद्यालय से प्राप्त की महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति “विजय पताका” पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। अटल जी की बी॰ए॰ की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे।

Atal Bihari Vajpayee जी ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम॰ए॰ की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल॰एल॰बी॰ की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही छोड़कर पूरी निष्ठा के साथ संघ के कार्य में जुट गये। डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलता पूर्वक करते रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी का राजनितिक जीवन/ सफर

सन् 1942 में Atal Bihari Vajpayee जी ने अपनी राजनीतिक जीवन के सफर शुरू किया था। जैसा की आप सभी को पता होगा उस समय भारत छोड़ो आंदोलन जोर शोर से चल रहा था और इसी दौरान उनके भाई को इस आंदोलन में गिरफ्तार कर लिया गया था। इनके भाई को 23 दिनों के लिए जेल में रहना पड़ा था। उसी दौरान श्यामा प्रसाद मुखर्जी से उनकी मुलाकात हुई और उनके कहने पर उन्होंने भारतीय जनसंघ पार्टी जुड़ गए। सन् 1951 में भारतीय जनसंघ पार्टी का गठन हुआ था।

इसके बाद जनसंघ पार्टी ने सन् 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी जी को अपने उम्मीदवार के तौर पर उत्तर प्रदेश बलरामपुर जिले से लोकसभा सीट से इलेक्शन के लिए टिकट दी गयी और उन्होंने लोकसभा चुनाव में अपनी पहली जीत दर्ज की। उनकी उपलब्धि को देखते हुए Atal Bihari Vajpayee जी को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया।

अटल जी 2 साल तक मोरारजी देसाई कि सरकार में वर्ष 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे जिससे हमारे देश की प्रति विदेशों में एक विश्वासी देश की पृष्ठभूमि तैयार करने में उनका बहुत योगदान रहा।

इसके बाद सन् 1980 में Atal Bihari Vajpayee जी ने भारतीय जनता पार्टी  के नाम से अपनी एक पार्टी का गठन किया और 06 अप्रैल 1980 को अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला। 1996 में लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी देश का पहला चुनाव जीता। इस चुनाव से बीजेपी ने देश में पहली बार अपनी सरकार बनायीं लेकिन मात्र 13 दिनों के लिए.  6 मई से 21 जून 1996 तक देश के दसवें प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने शपथ ली।

लेकिन यह सरकार केवल 13 दिनों तक ही चल पाई और सरकार गिर गई और फिर सन् 1996 में सरकार गिरने के 2 साल बाद पार्टी सत्ता में आई और 19 मार्च 1998 में Atal Bihari Vajpayee जी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और फिर 10 अक्टूबर 1999 को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ ली।

प्रधानमंत्री के कार्यकाल में अटल जी के द्वारा किए गए प्रमुख कार्य

भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाया

Atal Bihari Vajpayee ने प्रधानमंत्री रहते हुए राजस्थान के पोखरण में 11 और 13 मई सन् 1998 को पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाया। यह एक साहसिक कदम था, जिससे हमारे देश को अलग ही पहचान मिली। भारत देश का यह परमाणु परिक्षण इतनी गोपनीयता से किया गया था की पश्चिमी देशों की आधुनिक तकनीक भी नहीं पकड़ पायी थी। परमाणु परिक्षण के बाद कुछ देशों ने अनेक प्रतिबंध भी लगये परन्तु अटल जी ने इन सब चीज़ों की परवाह न करते हुए आगे बढ़े और हमारे देश को नई आर्थिक विकास की ऊँचाईयों तक ले गए।

Atal Bihari Vajpayee

पाकिस्तान के साथ संबंध को सुधारने की पहल

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 19 फरवरी 1999 में दिल्ली से लाहौर तक की सदा-ए-सरहद का नाम बस सेवा शुरू की. यह बस सेवा शुरू कर दोनों देश के बीच आपसी रिश्ते में सुधार लाने की पहल की और उस समय उन्होंने पाकिस्तान भी गए और वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ सरीफ से मुलाकात भी की थी।

कारगिल युद्ध (1999)

कुछ समय बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ के इशारे पर पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ शुरू कर दी और हमारी कई चोटियों पर अपना कब्ज़ा कर लिया। तब जवाबी कार्यवाही में Atal Bihari Vajpayee जी की सरकार ने ठोस कदम उठाएं और भारतीय सेना को खुला आदेश दिया। जिससे कि हमारी फ़ौज ने पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकियों को खदेड़ दिया।

स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ही भारत के चारों कोनों से सड़क मार्ग को जोड़ने का काम किया है। इसमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों को राजमार्गों से जोड़ने का काम किया गया इस परियोजना को स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना कहा गया

अटल सरकार द्वारा किये गए अन्य प्रमुख कार्य

अटल बिहारी वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee) की सरकार में ही 100 साल से भी पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया गया था।

इनकी ही सरकार में कई समितियों और आयोगों जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति आदि का गठन किया गया ।

गांवों में रोजगार के अवसर पैदा करना और विदेशों में बसे भारतीयों के लिए बिमा योजना Atal Bihari Vajpayee की सरकार में ही शुरू हुई. इन्ही कर सरकार में अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त कर आवास निर्माण को प्रोत्साहन दिया।

नई टेलीकॉम नीति और कोकण रेलवे की शुरुआत की। इनके कार्यकाल में टेलीकॉम क्षेत्र और रेलवे विभाग विकास की नई ऊँचाईयों को छुआ।

अटल जी (Atal Bihari Vajpayee) से जुड़े विवाद (Controversy)

अटल बिहारी वाजपेयी जी को हमेशा से ही एक साफ छवि के नेता के तौर पर देखा जाता रहा है और रहेगा भी। पंरतु इसके साथ कुछ विवाद भी जुड़े है। इसमें सबसे पहले बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले का नाम लिया जाता है। जिस वक्त बाबरी मजिस्द को गिराया गया था, उस वक्त विपक्ष के कई नेताओं द्वारा अटल जी की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए गए थे। क्योंकि इस मजिस्द के खिलाफ उस वक्त बीजेपी के कई नेताओं द्वारा रैली निकाली गई थी।

Atal Bihari Vajpayee का दूसरा विवाद कंधार प्लेन हाईजैक से जुड़ा है। यह बाद 24 दिसंबर 1999 की है, तब काठमांडू से दिल्ली से उड़े एक विमान को हथियारबंद आतंकियों द्वारा हाईजैक कर लिया था। तब विमान में 176 यात्रियों और 15 क्रू मेंबर्स की जान बचाने के लिए तीन आतंकी: मसूद अजहर, उमर शेख और अहमद जरगर को रिहा करना पड़ा था। इस मामले को लेकर Atal Bihari Vajpayee जी कड़ी निंदा हुई थी। विपक्ष का कहना था की यदि सरकार सूझबूझ से काम लेती तो विमान यात्रिओं की जान आतंकियों को छोड़े बिना भी बचायी जा सकती थी।

तीसरा मामला उनपर कारगिल युद्ध को लेकर भी सवाल उठाये जाते थे।

अटल बिहारी वाजपेयी की संपत्ति

वाजपेयी जी के पास कुल 16 करोड़,44 लाख,67 हजार रुपये की संपत्ति है। इसके अलावा इनका दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश इलाके में एक फ्लैट भी है, जिसकी कीमत करोड़ो में है।

Atal Bihari Vajpayee की प्रमुख रचनायें || पुस्तकों के नाम

जैसा की हमने आपको पहले भी बताया है की Atal Bihari Vajpayee जी एक अच्छे प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ एक अच्छे लेखक और कवि भी थे उनके द्वारा कुछ प्रकाशित रचनाओं के नाम इस प्रकार है:

भारत की विदेश नीति: नई डायमेंशन, राजनीति की रपटीली राहें, राष्ट्रीय एकीकरण, क्या खोया क्या पाया, मेरी इक्यावन कविताएं, न दैन्यं न पलायनम्, 21 कविताएं, Decisive Days, असम समस्या: दमन समाधान नहीं, शक्ति से संती, Back to Square One, Dimension of an Open Society

अटल बिहारी वाजपेई द्वारा दी गई महत्वपूर्ण टिप्पणियां (Quotes)

  • “मनुष्य को चाहिए कि वह परिस्थितियों से लड़े, एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़े”
  • “अपना देश एक मंदिर है, हम पुजारी हैं, राष्ट्र देव की पूजा में हमें अपने आपको समर्पित कर देना चाहिए”
  • “हमारे पड़ोसी कहते हैं एक हाथ से ताली नहीं बजती हमने कहा की चुटकी तो बज सकती है।“
  • “मन हारकर मैदान नहीं जीते जाते, न मैदान जीतने से मन जीते जाते हैं।“
  • “आदमी की पहचान उसके पद से या धन से नहीं होती, उसके मन से होती है, मन की फकीरी पर तो कुबेर की संपदा भी रोती है।“

Awards: अटल बिहारी वाजपेयी को मिले पुरस्कार और सम्मान

संख्या          पुरस्कार का नामवर्षकिसके द्वारा दिया गया अवॉर्ड
1पद्म विभूषण1992भारत सरकार
2डॉक्टर ऑफ लेटर1993कानपुर विश्वविद्यालय
3उत्कृष्ट संसदीय पुरस्कार1994भारतीय संसद
4लोकमान्य तिलक पुरस्कार1994भारत सरकार
5भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार1994भारत सरकार
6भारत रत्‍न2015भारत सरकार
7बांग्लादेश लिबरेशन वार सम्मान2015बांग्लादेश सरकार

वर्ष 2015 में भारत रत्न पाने वाले 44वें व्यक्ति बने।

कविता संग्रह:

क़दम मिला कर चलना होगा।कौरव कौन, कौन पांडव ।
दूध में दरार पड़ गई ।हरी हरी दूब पर।
मनाली मत जइयो ।क्षमा याचना ।
अंतरद्वंद्व ।पुनः चमकेगा दिनकर ।
मौत से ठन गई।जीवन की ढलने लगी साँझ ।
एक बरस बीत गया।मैं न चुप हूँ न गाता हूँ ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।

Atal Bihari Vajpayee जी की मृत्यु

Atal Bihari Vajpayee जी ने कभी शादी नहीं की लेकिन उन्होंने दो बच्चियों को गोद लिया था जो बीएन कॉल की बेटियां नमीता और नंदिता थी। आजादी की लड़ाई में वे अनेक नेताओं के साथ मिलकर लड़े। फिर हमारे देश और हम सब के लिए अत्यंत दुःख भरा दिन आया, जब 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी जी आखिरी सांस ली।

यह दिन हमारे देश की सभी देशवासियों के लिए अत्यंत क्षति वाला दिन था। हमारे देश ने एक महान राजनेता को खो दिया। आज भी अटल जी द्वारा दिए गए भाषण, लिखी गयी किताबें, कविताओं और प्रधानमंत्री के तोर पर किये गए कामों आदि द्वारा उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता है।

Note-(यहां दी गई जानकारियां इन्टरनेट और किताबों पर आधारित हैं, यहाँ दी गई जानकारी प्रमाणित नहीं है. लेकिन हम सब ने कोशिश की है कि आप तक जानकारी सटीक और सही पहुंचे, यदि हमसे कोई त्रुटि होती है तो हम क्षमाप्राथी है. लेकिन यहाँ डी गयी जानकारी पूर्णतः सही है इसकी हम जिम्मेदारी नहीं लेते है.)

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