Shyam Benegal Biography in Hindi: श्याम बेनेगल भारतीय सिनेमा के एक महान निर्देशक और निर्माता थे, जिन्होंने मुख्यधारा से बाहर की फिल्में बनाने में अपनी पहचान बनाई। वे भारतीय सिनेमा के वास्तविकतावादी और मुद्दों पर आधारित फिल्म निर्माण आंदोलन, जिसे न्यू इंडियन सिनेमा, न्यू वेव इंडियन सिनेमा या पैरेलल सिनेमा के नाम से जाना जाता है, के संस्थापक थे। उनका योगदान भारतीय सिनेमा के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा।
श्याम बेनेगल का संक्षिप्त जीवन परिचय
नाम | श्याम बेनेगल |
जन्म तिथि | 14 दिसंबर 1934 |
निधन | 23 दिसम्बर 2024 |
पिता का नाम | श्रीधर बी. बेनेगल |
माता का नाम | ज्ञात नहीं |
पत्नी | नीरा मुखर्जी बेनेगल |
संतान | बेटी (पिया बेनेगल) |
जन्म स्थान | त्रिमूलघेरी, सिकंदराबाद (अब हैदराबाद, आंध्र प्रदेश) |
व्यवसाय | फिल्म निर्देशक (Film Director) |
पुरस्कार/सम्मान | 1976 में पद्म श्री, 1991 में पद्म भूषण 2007 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार |
धर्म | हिन्दू |
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
श्याम बेनेगल (Shyam Benegal Biography in Hindi) का जन्म 14 दिसंबर 1934 को ब्रिटिश भारत के सिकंदराबाद (अब हैदराबाद, आंध्र प्रदेश का हिस्सा) में हुआ था। उनके पिता श्रीधर बी. बेनेगल एक फोटोग्राफर थे। अपने पिता के मार्गदर्शन में बेनेगल ने बहुत कम उम्र में फिल्म निर्माण शुरू किया।
सिनेमा के प्रति अपनी दीवानगी के कारण श्याम बेनेगल (Shyam Benegal Biography in Hindi) ने हैदराबाद फिल्म सोसाइटी की स्थापना की। बेनेगल ने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की।
1959 में सपनों के शहर मुंबई (अब मुम्बई) जाने के बाद, उन्होंने एक विज्ञापन कंपनी में कॉपीराइटर के रूप में काम करना शुरू किया, जहाँ वे बाद में क्रिएटिव हेड बन गए। 1963 में, उन्होंने एक अन्य विज्ञापन एजेंसी में नौकरी की, लेकिन इसके साथ ही वे डॉक्यूमेंट्री फिल्में भी निर्देशन करते रहे।
विज्ञापनों और शॉर्ट फिल्मों के निर्देशन के बीच, उन्होंने (Shyam Benegal Biography in Hindi) पुणे स्थित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में पढ़ाया और दो बार (1980–83, 1989–92) इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
व्यक्तिगत जीवन
श्याम बेनेगल (Shyam Benegal Biography in Hindi) की शादी पूर्व इंडिया बुक हाउस की संपादक नीरा मुखर्जी बेनेगल से हुई है। नीरा ने श्याम बेनेगल की कुछ फिल्मों के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन भी किया है। इस जोड़े की एक बेटी पिया बेनेगल है, जो एक कॉस्ट्यूम डिजाइनर हैं और फिल्मों जैसे दिल से (1998), जुबैदा (2001) और वेलकम टू सज्जनपुर (2008) में अपने काम के लिए जानी जाती हैं।
फिल्म निर्माण में योगदान
श्याम बेनेगल (Shyam Benegal Biography in Hindi) की पहली फीचर फिल्म अंकोंर (1974) थी, जो आंध्र प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में जातिवाद संघर्ष पर आधारित एक वास्तविकतावादी नाटक था। इस फिल्म ने पैरेलल सिनेमा आंदोलन को मजबूत किया और बेनेगल को एक प्रमुख फिल्म निर्माता के रूप में स्थापित किया। इसके साथ ही शबाना आजमी ने भी अपने करियर की शुरुआत की।
श्याम बेनेगल (Shyam Benegal Biography in Hindi) की अन्य प्रमुख फिल्मों में निशांत (1975), मंथन (1976), भूमिका (1977), कलयुग (1981), जुनून (1979), मंडी (1983) और त्रिकल (1985) शामिल हैं। इन फिल्मों में ग्रामीण और शहरी दोनों ही विषयों को बेनेगल ने अपनी विशेष शैली में प्रस्तुत किया।
टेलीविजन और डॉक्यूमेंट्री
बेनेगल ने 1980 के दशक में कई प्रमुख टेलीविजन धारावाहिकों का निर्देशन भी किया, जिनमें यात्रा (1986), कथा सागर (1986), और भारत एक खोज (1988) शामिल हैं। उन्होंने सत्यजीत रे (1982) और जवाहरलाल नेहरू (1983) पर डॉक्यूमेंट्री भी बनाई। इसके बाद उन्होंने आंतरनाद (1991) जैसी फिल्मों में अपने निर्देशन की कड़ी को जारी रखा।
बाद की फिल्में और उपलब्धियां
श्याम बेनेगल ने अपनी करियर की बाद की फिल्मों में सूरज का सातवां घोड़ा (1993), मम्मो (1994), सरदारी बेगम (1996), समर (2000), हरी-भरी (2000), जुबैदा (2001), नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो (2005), वेलकम टू सज्जनपुर (2008) और वेल डन अब्बा! (2009) जैसी बेहतरीन फिल्में बनाई।
उन्होंने महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका में शुरुआती वर्षों पर एक सिनेमाई अध्ययन द मेकिंग ऑफ द महात्मा (1996) भी किया। इसके अलावा, उन्होंने संविधान: द मेकिंग ऑफ द कंस्टिट्यूशन ऑफ इंडिया (2014) नामक टेलीविजन मिनी-सीरीज़ का निर्देशन किया।
Shyam Benegal Biography in Hindi: पुरस्कार
श्याम बेनेगल को उनके शानदार योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें 1976 में पद्म श्री, 1991 में पद्म भूषण और 2007 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए। वे भारतीय सिनेमा के ऐसे महान निर्देशक थे जिनकी फिल्मों ने भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को संवेदनशीलता और वास्तविकता के साथ प्रस्तुत किया
श्याम बेनेगल (Shyam Benegal Biography in Hindi) का योगदान भारतीय सिनेमा में अतुलनीय है। उन्होंने अपनी फिल्मों के माध्यम से समाज की जटिलताओं को उजागर किया और भारतीय सिनेमा की दिशा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनका नाम हमेशा भारतीय सिनेमा के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।
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