Zakir Hussain Biography in Hindi: तबला वादन में अपनी अद्वितीय कला के लिए विख्यात उस्ताद ज़ाकिर हुसैन भारतीय शास्त्रीय संगीत के अग्रणी कलाकारों में से एक हैं। वे न केवल एक प्रख्यात तबला वादक हैं, बल्कि एक प्रतिभाशाली संगीतकार और तालवादक भी हैं। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, फ्यूजन शैलियों और वैश्विक मंच पर सहयोग के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान ने उन्हें विश्व स्तर पर सबसे प्रभावशाली कलाकारों में शामिल कर दिया है।
ग्रैमी पुरस्कार विजेता ज़ाकिर हुसैन ने भारतीय संगीत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके अद्वितीय प्रदर्शन और बहुआयामी प्रतिभा ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है और उनकी विरासत को संगीत जगत में अमर बना दिया है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई, भारत में हुआ था। वे महान तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के पुत्र थे। ज़ाकिर हुसैन ने कम उम्र में ही तबला बजाना शुरू कर दिया था। केवल सात साल की उम्र में वे मंच पर प्रदर्शन करने लगे और बारह वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी पहली सार्वजनिक प्रस्तुति दी।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट माइकल हाई स्कूल से की और स्नातक की डिग्री सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज, मुंबई से पूरी की। उन्होंने वॉशिंगटन विश्वविद्यालय से संगीत में डॉक्टरेट की डिग्री भी प्राप्त की।
निजी जीवन (Zakir Hussain Biography in Hindi)
ज़ाकिर हुसैन (Zakir Hussain Biography in Hindi) ने कथक नृत्यांगना और अपनी प्रबंधक एंटोनिया मिनेकोला से विवाह किया। उनकी दो बेटियां हैं – अनीसा कुरैशी, जो एक फिल्म निर्माता हैं, और इसाबेला कुरैशी।
संगीत करियर
ज़ाकिर हुसैन (Zakir Hussain Biography in Hindi) का करियर भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ शानदार सहयोग से भरा हुआ है। 1970 के दशक में उन्होंने अमेरिका में बड़े पैमाने पर यात्रा की और हर साल 150 से अधिक संगीत कार्यक्रम किए।
उनके नए और अनोखे दृष्टिकोण ने उन्हें विभिन्न शैलियों और संगीतकारों के साथ काम करने का मौका दिया, जिनमें जैज़ और वर्ल्ड म्यूजिक शामिल हैं।
1991 में उन्होंने ड्रमर मिक्की हार्ट के साथ प्लैनेट ड्रम एल्बम पर काम किया, जिसे ग्रैमी पुरस्कार मिला। अपने करियर के दौरान उन्हें कई बार ग्रैमी के लिए नामांकित किया गया और फरवरी 2024 में उन्होंने एक ही रात में तीन ग्रैमी जीतकर इतिहास रच दिया। 1996 के अटलांटा ओलंपिक के उद्घाटन समारोह के लिए संगीत तैयार करने में भी उनकी अहम भूमिका रही।
पुरस्कार और सम्मान
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन (Zakir Hussain Biography in Hindi) को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया:
- पद्म श्री (1988)
- पद्म भूषण (2002)
- पद्म विभूषण (2023)
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1990) और फेलोशिप (2018)
- नेशनल हेरिटेज फेलोशिप (1999)
ग्रैमी पुरस्कार
ज़ाकिर हुसैन (Zakir Hussain Biography in Hindi) ने पांच ग्रैमी पुरस्कार जीते, जिनमें से तीन फरवरी 2024 में 66वें वार्षिक ग्रैमी अवार्ड्स में जीते।
- बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक परफॉर्मेंस – पश्तो
- बेस्ट कंटेम्पररी इंस्ट्रुमेंटल एल्बम – As We Speak
- बेस्ट इंस्ट्रुमेंटल कंपोजिशन – Motion
अंतरराष्ट्रीय पहचान
ज़ाकिर हुसैन (Zakir Hussain Biography in Hindi) को वर्ल्ड म्यूजिक मूवमेंट के अग्रणी व्यक्तित्वों में से एक माना जाता है। उन्होंने मिक्की हार्ट, जॉन मैकलॉफलिन, चार्ल्स लॉयड और हरबी हैनकॉक जैसे दिग्गजों के साथ काम किया।
रचना और कॉन्सर्टो
ज़ाकिर हुसैन ने (Zakir Hussain Biography in Hindi) कई फिल्मों और प्रमुख आयोजनों के लिए संगीत तैयार किया। 2015 में, उनका तीसरा कॉन्सर्टो, जो पहला तबला कॉन्सर्टो था, सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा ऑफ इंडिया द्वारा प्रस्तुत किया गया।
शैक्षिक योगदान
ज़ाकिर हुसैन (Zakir Hussain Biography in Hindi) ने दुनियाभर के प्रतिष्ठित संस्थानों, जैसे प्रिंसटन और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में कार्यशालाएं और व्याख्यान दिए। उन्होंने सैन फ्रांसिस्को बे एरिया में सामुदायिक कार्यशालाओं के माध्यम से संगीत शिक्षा को बढ़ावा दिया।
उपलब्धियां
2017 में उन्हें SFJazz लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। 2022 में उन्हें कला और दर्शन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए क्योटो पुरस्कार से नवाजा गया।
नेट वर्थ
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन (Zakir Hussain Biography in Hindi) एक दिग्गज तबला वादक के रूप में संगीत जगत में अमिट छाप छोड़ चुके हैं। उनकी सफलता और मेहनत के कारण उनकी वित्तीय स्थिति भी मजबूत रही है। दिसंबर 2024 तक उनकी कुल संपत्ति लगभग 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब ₹84,809,500) आंकी गई है।
निधन
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन (Zakir Hussain Biography in Hindi) का 15 दिसंबर 2024 को सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे 73 वर्ष के थे। परिवार ने पुष्टि की कि उनका निधन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के कारण हुआ, जो एक गंभीर फेफड़ों की बीमारी है।
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन (Zakir Hussain Biography in Hindi) की संगीत यात्रा भारतीय शास्त्रीय संगीत और आधुनिक शैलियों के बीच एक पुल की तरह है। उनका योगदान अनगिनत संगीतकारों को प्रेरणा देता रहेगा और उनकी कला का प्रभाव पीढ़ियों तक कायम रहेगा।
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